• उत्तराखण्ड सरकार
  • Government of Uttarakhand

Minor Irrigation Department, Uttarakhand

लघु सिंचाई विभाग, उत्तराखंड

0135-2672006

staffo-mirri-uk[at]gov.in


Aim

 

लघु सिंचाई विभाग का उद्देश्य

उत्तराखण्ड में उपलब्ध जल श्रोतों का समुचित/सुनियोजित ढंग से दोहन कर राज्य में लघु एवं सीमान्त कृषकों की कृषि योग्य भूमि को समुचित सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना।

लघु सिंचाई विभाग के प्रमुख कर्तव्य

 समस्त लघु सिंचाई योजनाओं के निर्माण हेतु नियोजन, क्रियान्वयन विश्लेषण तथा मूल्यांकन करना। इस हेतु संसाधन पारित करना, कार्य की बाधाओं को हटाना, कार्यों की प्रक्रिया तय करना तथा कार्य की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना।
 लघु सिंचाई विभाग द्वारा छोटे-छोटे श्रोतों, नदियाँ, गधेरों/नालों पर योजनाओं का निर्माण कर कृषकों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराना, जिससे भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हो सके।
 प्रदेश के प्राकृतिक जल श्रोतों का संरक्षण, विकास एवं सुनियोजित प्रबन्धन।
 सीमित जल संसाधनों के अनुरूप वैज्ञानिक ढंग की सिंचाई प्रणालियों का विकास करना।

लघु सिंचाई कार्य- एक आवश्यकता

 लघु सिंचाई योजनाएं अल्प समय में तैयार हो जाती है।
 शीघ्र ही उनसे कृषकों को लाभ मिलने लगता है।
 इन योजनाओं में धन का व्यय अपेक्षाकृत प्रायः कम ही होता है, इसलिए अधिक संख्या में इन्हें कार्यान्वित किया जा सकता है।
 लघु सिंचाई योजनाओं में स्थानीय संसाधनों एवं प्राविधिक ज्ञान का उपयोग होता है और व्यय हुआ धन अधिकतर बाहर नहीं जाता।
 स्थानीय कृषकों एवं कारीगरों को रोजगार मिलता है।
 इन योजनाओं का उपयोग व संचालन कृषक अपनी इच्छानुसार जल उपभोक्ता समूह का गठन करते हैं।
 सघन कृषि के लिए यह योजनाएं श्रेयस्कर हैं।
 यदि भविष्य में बाढ़ एवं भूस्खलन से ऐसी योजनाएं क्षतिग्रस्त भी जाये तो इनसे कृषक व शासन को बहुत बड़ी आर्थिक हानि की संभावना नहीं रहती है।
 स्थिति विशेष के कारण जिन स्थानों पर बड़ी योजनाओं का कार्यान्वयन संभव नहीं, वहां लघु सिंचाई योजनाओं का निर्माण सुगमता पूर्वक किया जा सकता है।