आदिकाल में मानव सभ्यता के प्रथम चरण में कृषि पूर्णतया वर्षा पर निर्भर थी। कालान्तर में कृषि की सफलता के लिए सिंचाई की आवश्यकता प्रतीत हुई, इस प्रकार मानव सभ्यता के विकास के साथ सिंचाई के विकास का इतिहास भी सम्बद्ध है। हवा के साथ-साथ पानी भी जीवन के लिए आवश्यक तत्व है। समस्त प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदी (पानी) तटों पर ही हुआ है। आदिकाल सभ्यता के देश में भारत तथा मिश्र में सिंचाई का ज्ञान समुन्नत रहा है। पृथ्वी के सतह के लगभग तीन चैथाई भाग में फसल के उत्पादन के लिए समुचित प्राकृतिक जल उपलब्ध नहीं है। उसके लिए सिंचाई सुविधाएं आवश्यक है। समस्त विश्व में विशेष तया उष्ण कटिबन्धीय तथा शुष्क देशों में, सभी देश अपने प्राकृतिक साधनों का सिंचाई के लिए उपयोग करने में प्रयत्नशील हैं और विश्व के सिंचित क्षेत्र में निरन्तर वृद्धि हो रही है। भारत आदिकाल से कृषिही प्रधान देश रहा है। यहां 75 प्रतिशत जनता खेती पर ही जीवन यापन करती है। मानसून की अवधि तथा वर्षा की मात्रा अनियमित होने के कारण कृषि को विपदाओं का सामना करना पड़ता है।